अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: कोनकोना में ग्रामीण मजदूरों का मुह मीठा करा व श्रीफल भेंट कर किया सम्मान, श्रमिक वर्ग अपने पसीने से देश की नींव को मजबूती देते है- दिलीप मेहता
कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा (अपना आवाम न्यूज )
1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के ग्राम पंचायत भवन कोनकोना में मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार मेहता, ग्राम सरपंच श्रीमती अमिता राज, पंचगणो, पंचायत सचिव व रोजगार सहायक की उपस्थिति में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम योजना अंतर्गत उक्त कार्यक्रम रखा गया। जिस दौरान कार्यक्रम में आए सभी ग्रामीण मजदूरों का मुह मीठा करा एवं श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया गया तथा देश व प्रदेश के विकास में मजदूरों की ओर से दिए गए योगदान को याद किया गया। कार्यक्रम में आए ग्रामीण मजदूरों में भी काफी खुशी की अनुभूति देखने को मिली तथा उनका कहना था कि हम लोग इस तरह से मजदूर दिवस नही मनाए और हमे नही मालूम था कि साल का एक दिन हमारे भी सम्मान के लिए होता है। इस अवसर पर ग्राम सरपंच श्रीमती अमिता राज ने कहा कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मजदूरों व श्रमिक वर्ग की उपलब्धियों और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को सलाम करना है। यह दिन मजदूरों को संगठित कर आपसी एकता मजबूत करने व उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। वहीं पोड़ी उपरोड़ा जनपद कार्यालय के मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार मेहता ने मजदूरों के संबोधन में कहा कि 1 मई का दिन मजदूरों, श्रमिकों के सम्मान का दिन है और इस दिन को हम उन्हें मिले अधिकार को लेकर मना रहे है। 1 मई ऐसा दिन है, जो उन अनदेखे हाथों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है जो ईंट से इमारत, बीज से खेत और कारखानों से उत्पादन तक हर उस धड़कते काम के पीछे होते है, जो अपने पसीने से देश की नींव को मजबूती देते है और जिन पर हमारी अर्थव्यवस्था टिकी है। इतिहास की नींव पर खड़ा मजदूर दिवस की शुरुआत 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुई थी, जहां काम के घंटे घटाकर 8 करने की मांग को लेकर हजारों मजदूर सड़क पर उतरे थे। आंदोलन इतना व्यापक हुआ कि पुलिस फायरिंग तक हुई, लेकिन यह संघर्ष व्यर्थ नही गया। अंततः 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस घोषित किया गया। भारत मे इसकी शुरुआत 1923 में चेन्नई (तब मद्रास) से हुई थी। पहले मजदूर वर्ग असंगठित क्षेत्र में काम करते थे। उन्हें बिना पेंशन, बिना स्वास्थ्य बीमा, न्यूनतम मजदूरी व बिना सुरक्षा के निर्माण स्थलों, फैक्ट्रियों, ईंट भट्ठों से लेकर घरेलू कामगारों तक शोषण और अनदेखी का शिकार होना पड़ता था। लेकिन अब वक्त बदला है, आज श्रमिक मेहनत की पहचान और अधिकारों की आवाज बन गए है। मजदूर दिवस सिर्फ छुट्टी का दिन नही , बल्कि सरकार द्वारा मजदूर हित मे लागू नियम में सुरक्षित कार्य स्थल, समय पर वेतन/मजदूरी, स्वास्थ्य सुविधाएं एवं सम्मानपूर्ण व्यवहार जैसे अधिकारों का दिवस है, यही तो देश और प्रदेश का असली विकास है। कोनकोना में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।