अपना आवाम
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ग्राम पंचायत अमलीकुंडा के विकास पर भारी भ्रष्ट्राचार का जिन्न

 ग्राम पंचायत अमलीकुंडा के विकास पर भारी भ्रष्ट्राचार का जिन्न 

 सरपंच को झांसे में लेकर बिना कार्य 14वें, 15वें वित्त मद का लाखों भुगतान और मूलभूत का मनमाने आहरण से शातिर सचिव व जिम्मेदार अधिकारी मालामाल तो पंचायत हुआ कंगाल*


0 जुबानी जांच और कार्रवाई की बात कह संबंधित अधिकारी ने कर ली कर्तव्यों की इश्रिती.



कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा

 सरकार और प्रशासन का दावा कि ग्राम पंचायतों में लगातार विकास कार्य हो रहा है और पारदर्शी तरीके से विकास कार्यों की समीक्षा के चलते भ्रष्ट्राचार मुक्त भारत का सपना साकार हो रहा है।

 लेकिन यह दावे सिर्फ किताबो में ही अच्छे लगने लगे है बाकी तस्वीरों में तो सच देख कर यही लगता कि भ्रष्ट्र किस्म के सरपंच सचिव के जुगाबन्दी से अथवा शातिर सचिव द्वारा सीधे- साधे सरपंच को झांसे में लेकर ग्राम पंचायतें को सिर्फ भ्रष्ट्राचार का अड्डा बनाकर रख दिया गया हैl

 जहां हर कार्य मे विभागीय कमीशन खोरी के चलते गुणवत्ता प्रभावित होना स्वभाविक है तो वही बुनियादी सुविधाओं के तमाम ऐसे विकास कार्य जो हुआ ही नही, फर्जी बिलों के माध्यम से राशि आहारित कर व्यापक बंदरबांट किया गया अथवा जा रहा है। जिसमे संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद करके बैठे हुए हैं। 


कुछ इसी तरह का वाक्या जिले के पोड़ी उपरोड़ा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत लैंगा व अमलीकुंडा में देखने को मिला जहां दोनों पंचायत का कार्यभार देखने वाले तात्कालिन शातिर सचिव जयसिंह मेश्राम द्वारा सीधे- साधे सरपंचों को लालच भरे भंवरजाल में फंसाकर और उक्त पंचायतों में धरातल पर बिना कार्य कराए ही तथाकथित विक्रेताओं( वेंडरों) के बिल लगवा कर पंचायत खातों के मूलभूत सहित 14वें व 15वें वित्त मद आयोग से मनमाने भुगतान कर शासकीय राशि में लाखों रुपयों की बंदरबांट कर ली गई। 

लैंगा व अमलीकुंडा पंचायत में एक ही वेंडर को नाली, सड़क, पुलिया निर्माण सामग्री से लेकर मरम्मत कार्य, लेखन सामग्री, किराना, मिठाई आदि सभी प्रकार के विक्रय सामाग्रियों का एक ही बिल जारी कर सरपंच/सचिव के हस्ताक्षर से आंख मूंदकर भुगतान भी किया गया है।

 जिन मामलों को खबर के माध्यम से संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बावजूद ना तो इन भुगतानो को गंभीरता से लेकर जांच करवाई जा रही है और न ही पंचायत जांच अधिकारी द्वारा बुनियादी विकास के नाम पर किये गए फर्जीवाड़ा कार्यों की समीक्षा की जा रही है, ना ही किसी तरह की जांच। जिसे देख यहां यही कहना पड़ रहा है कि *"जहां सौ में निन्यानवे बेईमान, लेकिन मेरा भारत देश तब भी महान"* और मौजूदा हालात को देख शायद यही कहावत सटीक बैठती है। 


विगत कोविड-19 महामारी संक्रमण काल के समय से दो पंचायतों का कार्यभार देख रहे शातिर सचिव जयसिंह मेश्राम ने जहां लैंगा की सीधी- साधी महिला सरपंच श्रीमती संतकली आयाम का फायदा उठा वर्ष 2020 में कोरेण्टाइन सेंटर हेतु खाद्य सामाग्री खरीदी पर 1.50 लाख, 46.400 रुपए रसोइये को भुगतान एवं इसी दौरान राष्ट्रीय पर्व पर 12.620 रुपए का मिठाई खरीदी कर वितरण किये जाने का जियोटैग में उल्लेख है। 

जिसे लेकर यहां के ग्रामीणों का तर्क था कि गिनती भर ठहरे प्रवासी मजदूर क्या महीनों से भूखे रहे जो लाखो का राशन खा गए। वही रसोइया भी शायद फाइव स्टार होटल से बुलाया गया रहा होगा जिसको मनमाने भुगतान किया गया तथा 10 हजार से अधिक की मिठाई भी प्रवासी मजदूरों को खिलाई गई होगी क्योंकि उस दौरान लाकडाउन में सब अपने- अपने घरों में कैद थे। 

यही नही शातिर सचिव जयसिंह द्वारा इस दौरान अमलीकुंडा पंचायत के सरपंच मान सिंह पोर्ते के सीधेपन का भी लाभ उठा लैंगा पंचायत में किये गए कारनामे से बढ़कर कारनामा करते हुए कोरोना काल के वर्षों में 20 हजार के मास्क- सेनिटाइजर खरीदी, चांवल- दाल खरीदी का 30 हजार, ग्राम पंचायत के लिए स्टेशनरी सहित मिक्चर, बिस्किट, चाय- नास्ता पर 20 हजार, वेक्सिनेशन कार्य हेतु वाहन किराया पर 53.650 रुपए और रोचक बात यह कि इस दौरान 41.500 रुपए की मिठाई भी बांटी गई।

 इसके अतिरिक्त इस पंचायत में 18 लाख 63 हजार 45 रुपए से बोर खनन, सबमर्सिबल पंप स्थापना व रनिंग वाटर पर खर्च दर्शाया गया है जबकि ग्राम में पेयजल व्यवस्था के आधे कार्य धरातल पर और आधे कार्य कागजो में हुए है तथा जो कार्य दिख रहे है उनकी लागत से दुगुनी राशि निकाली गई है। 

हेंडपम्प, कुंआ, सचिव आवास, उप स्वास्थ्य केंद्र मरम्मत के नाम पर भी जमकर खेला किया गया है जिसमे हेंडपम्प मरम्मत पर 1 लाख 68 हजार 600 रुपए, कुंआ मरम्मत पर 93 हजार 200 रुपए, सचिव आवास मरम्मत हेतु 59.721 रुपए व उप स्वास्थ्य केंद्र मरम्मत के लिए 47.400 रुपए का आहरण किया गया है और जिस कार्यो के लिए मूलभूत, 14वें व 15वें वित्त आयोग मद की राशि का उपयोग तथा जो कार्य सिर्फ कागजों में हुआ है जहां पंचायत के दलाल वेंडरों द्वारा कार्यों के सामाग्री का फर्जी तथा दुगुना बिल लगाते हुए पंचायत खाते से राशि आहरित करवाई गई है l

और जिन कार्यों का अधिकारित तौर पर आंख मूंदकर धड़ल्ले से भुगतान भी हुआ है। पंचायत में किये गए तमाम कारनामे और ग्रामीणों के कथन से संबंधित जिन खबरों को गत दिनों में अलग-अलग शीर्षक के साथ विस्तार पूर्ण तरीके से प्रसारित किया गया था, जिसे पोड़ी उपरोड़ा जनपद सीईओ खगेश कुमार निर्मलकर ने संज्ञान में तो लिया और जांच की बात कही थी लेकिन आज पर्यंत भ्रष्ट्राचार के उन मामलों में कार्रवाई की कोई सुगबुगाहट नही दिखी।

 ऐसे में यह प्रतीत हो रहा रहा मानो संबंधित अधिकारी द्वारा मुह जुबानी कार्रवाई की बात कर अपने कर्तव्यों की इश्रिती कर ली गई हो। ऐसे में शासन से पंचायत को जारी राशि मे भ्रष्ट्राचार का जिन्न नचाने वाले सरपंच- सचिव अथवा संज्ञान में आने के बाद भी गंभीरता से नही लेने वाले जिम्मेदार अधिकारी...आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन? 


ग्रामीणों की मानें तो पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा बुनियादी सुविधाओं और विकास कार्य के नाम पर लीपापोती कर शासकीय राशि का जमकर गबन एक मात्र उद्देश्य बन चुका है। फिर चाहे वह पेयजल व्यवस्था या मरम्मत कार्य हो या फिर पीसीसी सड़क, नाली, सुदूर सड़क, भवन निर्माण अथवा अन्य निर्माण कार्य हो या कार्यालय व्यय के नाम पर ही क्यों ना हो।

 वही सूत्रों की माने तो ऐसे तमाम कार्य जो धरातल पर हुआ ही नही और उसका विभागीय पेमेंट फर्जी बिलो के सहारे हो जाता रहा है जो बड़ा जांच का विषय है। जिसे लेकर यदि विभागीय अधिकारियों द्वारा हुए कार्यो का भौतिक सत्यापन निष्पक्ष रूप से किसी अन्य जांच एजेंसी से करवाया जाए तो सारा दूध और पानी अलग हो जाएगा।

 लेकिन सवाल तो यही है कि *"जब चोर- चोर हो मौसेरे भाई तो घण्टा आखिर बांधेगा कौन"*। पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के शातिर सचिव जयसिंह मेश्राम ने सरपंच को अंधेरे में रख जहां पंचायत मद के लाखों की राशि से अपना विकास किया और अकूत संपत्ति हासिल की वहीं नियम- कायदे को ताक पर रखकर कैसे 15वें वित्त आयोग से अमलीकुंडा पंचायत के गली- मोहल्लों और पहुँचमार्गों का मरम्मत कार्य करा जमकर सरकारी धन का वारा-न्यारा किया गया और जो आडिट कार्य मे अड़चन के बाद भी नैया पार हो गई, जिसे अगले खबर में प्रसारित किया जाएगा।

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